Friday, February 6, 2009

जख्म

तस्वीर के सामने तेरे हम कभी सर रख कर सो जाते
ऐसे ही न जाने हमारे कितने दिन गुजर जाते

प्यार जताने का हमे इल्म ना था वरना
इस तरह लुटाते की अमर हो जाते

देखना ही था अगर मेरी आवारगी का आलम
बोल देती, लहू बनके तेरे रगों में उतर जाते

जाना ही था तुझे तो, आंख मिला के तो जाते
मेरी आँखों में ,दिल के जख्म तो तुझे नजर आते

10 comments:

  1. achchha prayas hai, jari rakhiye.

    ------------------------------------"VISHAL"

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  2. प्यार जताने का हमे इल्म ना था वरना
    इस तरह लुटाते की अमर हो जाते
    देखना ही था अगर मेरी आवारगी का आलम
    बोल देती, लहू बनके तेरे रगों में उतर जाते

    बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल, बेहतरीन लिखा है
    ये दोनों ही शेर अच्छे हैं

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  3. bahut bahut dhanyawad sangeeta ji

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  4. सुंदर रचना
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

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  5. अच्छी रचना ....आपका और आपके ब्लॉग का स्वागत है ..

    अनिल कान्त
    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  6. Really very nice feeling sir

    this is your real life story??

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  7. inayat bhee yahan sajis hai ahsaan jatane ko,jo khud ko bhul jaye aisa mila na koi. narayan narayan

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  8. naradmuni ji aapki baatein samaj nai aayi mujhe

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  9. wo shaam kabhi to aayegi bas itezaar kijiye

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