आये न तुम मेरे आँगन, अंतिम रुक्सत देने
चार फूल मेरी लाश पर, चढा देते तो क्या जाता?
दूर रहते हो हमेशा , मेरे जिक्रे महफिल से
दो अश्क मेरी याद में ,बहा देते तो क्या जाता...?
आज आये हो मेरी मय्यत पर , नकाब डाल कर सनम
मुर्दों को चाँद का टुकडा, दिखा देते तो क्या जाता?
लोगो ने सवाल किया की , किसका है ये जनाज़ा
मरने वाला कौन था , बता देते तो क्या जाता ?
कह रही है मेरी कहानी , तेरे हाथ की हीना
किसी और दिन ये किस्सा , सुना देते तो क्या जाता ?
मेरी साँस रुक गयी , दम निकलना था निकल गयी
एक बार मेरी दुआ को तुम । हाथ उठा देते तो क्या जाता ?
जान दे दी मैंने , तेरी ही मोहब्बत में
इक चिराग तुम मजार पर, जला देते तो क्या जाता ?
"मेरी साँस रुक गयी , दम निकलना था निकल गयी
ReplyDeleteएक बार मेरी दुआ को तुम । हाथ उठा देते तो क्या जाता ?"
आह, मरते वक़्त भी तर्क-ए-तमन्ना? क्या दिल है और कैसा दिलवाला|
jab tu jite ji hi meri nahi hui,
ReplyDeleteto meri maiyat pe in ghadiyali ansuo ka matlab?
Achcha likhe hain, lekin mujhe kisi ko itna bhav dena achchha nahi lagta.
haan mujhe bhi.........
ReplyDeleteekdum sahi baat !!
bhav to dil se nikalte hai bandhuwon. aur dil to nadan hota hai.. :)
ReplyDeleteThis one is vry cheesy man ...plz dnt mind may b I have different taste.
ReplyDeletehahahah..gaurav babu aapka taste ekdam sahi hai..yes this one is cheesy..
ReplyDeleteye tooo mch hi ho gaya............Let go Melbourne!!!
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