धुंधली हो चुकी है आशाएं , तेरी राह तकते तकते
आंसू है पलकों में , अब शायद बिछा न पाउँगा
धूमिल हो गयी स्वाभिमान , सबके ताने सुनते सुनते
तेरे सजदे में , अब शायद सर झुका न पाउँगा
मिट चुकी है जस्बात , मन को कहते कहते
तुम हो दिल में , अब शायद बहला न पाउँगा
भर चुकी है गमें जिंदगी, तुझे याद करते करते
इस दर्द में, अब शायद मुस्कुरा न पाउँगा
ख़त्म हो गयी ऐतबार, तेरा विश्वास करते करते
झूठे रिश्ते में, अब शायद नाम दे न पाउँगा
रो चुकी है बहुत आँखें, तेरी यादों में जीते जीते
खुश्क आँखों में बूंद, अब शायद बहा न पाउँगा
टूट चुकी है साँसें , मरने का एहसास करते करते
बिखरे है वादे , अब शायद निभा न पाउँगा
घुस चुकी है कायरता , खुद को थामते थामते
तेरे प्यार में , अब शायद जान दे न पाउँगा
ख़त्म हो गयी ऐतबार, तेरा विश्वास करते करते
ReplyDeleteझूठे रिश्ते में, अब शायद नाम दे न पाउँगा ....
Bahut sahi line :)..
Bahut achchhe se bhav nikal padha hai shabdo ke jariye...
Bhut ko bhula ke aage badh jana hi jindagi hai.
वाह!! क्या बात है!
ReplyDeletejus a single wrd fr u.....
ReplyDeletefantabulous :)
thanks bipin , udan tashtari and nehansh
ReplyDeletereally wonderul
ReplyDeletethanks asha ji
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